Posts

Showing posts from 2019
Image
"26 अगस्त/इतिहास-स्मृति *चित्तौड़ का पहला जौहर* जौहर की गाथाओं से भरे पृष्ठ भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं। ऐसे अवसर एक नहीं, कई बार आये हैं, जब हिन्दू ललनाओं ने अपनी पवित्रता की रक्षा के लिए ‘जय हर-जय हर’ कहते हुए हजारों की संख्या में सामूहिक अग्नि प्रवेश किया था। यही उद्घोष आगे चलकर ‘जौहर’ बन गया। जौहर की गाथाओं में सर्वाधिक चर्चित प्रसंग चित्तौड़ की रानी पद्मिनी का है, जिन्होंने 26 अगस्त, 1303 को 16,000 क्षत्राणियों के साथ जौहर किया था। पद्मिनी का मूल नाम पद्मावती था। वह सिंहलद्वीप के राजा रतनसेन की पुत्री थी। एक बार चित्तौड़ के चित्रकार चेतन राघव ने सिंहलद्वीप से लौटकर राजा रतनसिंह को उसका एक सुंदर चित्र बनाकर दिया। इससे प्रेरित होकर राजा रतनसिंह सिंहलद्वीप गया और वहां स्वयंवर में विजयी होकर उसे अपनी पत्नी बनाकर ले आया। इस प्रकार पद्मिनी चित्तौड़ की रानी बन गयी। पद्मिनी की सुंदरता की ख्याति अलाउद्दीन खिलजी ने भी सुनी थी। वह उसे किसी भी तरह अपने हरम में डालना चाहता था। उसने इसके लिए चित्तौड़ के राजा के पास धमकी भरा संदेश भेजा; पर राव रतनसिंह ने उसे ठुकरा द...

राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि

Image
राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि 25 अगस्त/पुण्य-तिथि भारत तथा विश्व के 130 देशों में अपनी हजारों शाखाओं एवं संस्थाओं के माध्यम से कार्यरत प्रजापिता ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय एक आध्यात्मिक संस्था है। इसकी विशेषता यह है कि इसके सारे प्रमुख सूत्र महिलाओं के हाथ में रहते हैं। इस नाते यह नारी शक्ति के जागरण एवं उनकी प्रशासकीय कुशलता के प्रकटीकरण का एक महान आध्यात्मिक आन्दोलन है। इस संस्था की स्थापना सिन्ध हैदराबाद (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मे श्री लेखराज ने अक्तूबर, 1937 में की थी। ऐसा माना जाता है कि उन्हें शिव के स्वरूप में परमात्मा का साक्षात्कार हुआ था। भगवान शिव ने उन्हें सतयुग के आदर्शों पर चलने वाली नयी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने लेखराज जी को प्रजापिता ब्रह्मा कहा। लेखराज जी ने आध्यात्मिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए सर्वप्रथम ओम मण्डली बनायी। इसी क्रम में आगे चलकर ‘प्रजापिता ब्रह्मा ईश्वरीय विश्वविद्यालय’ की स्थापना हुई। सिन्धी भाषा में बड़े भाई को ‘दादा’ कहते है। अतः लेखराज जी सब ओर दादा के नाम से प्रसिद्ध हो गये। दादा लेखराज क...

बलिदान को उत्सुक राजगुरु

Image
24 अगस्त/जन्म-दिवस बलिदान को उत्सुक राजगुरु सामान्यतः लोग धन, पद या प्रतिष्ठा प्राप्ति के लिए एक-दूसरे से होड़ करते हैं; पर क्रांतिवीर राजगुरु सदा इस होड़ में रहते थे कि किसी भी खतरनाक काम का मौका भगतसिंह से पहले उन्हें मिलना चाहिए। श्री हरि नारायण और श्रीमती पार्वतीबाई के पुत्र शिवराम हरि राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के पास खेड़ा (वर्तमान राजगुरु नगर) में हुआ था। उनके एक पूर्वज पंडित कचेश्वर को छत्रपति शिवाजी के प्रपौत्र साहू जी ने राजगुरु का पद दिया था। तब से इस परिवार में यह नाम लगने लगा। छह वर्ष की अवस्था में राजगुरु के पिताजी का देहांत हो गया। पढ़ाई की बजाय खेलकूद में अधिक रुचि लेने से उनके भाई नाराज हो गये। इस पर राजगुरु ने घर छोड़ दिया और कई दिन इधर-उधर घूमते हुए काशी आकर संस्कृत पढ़ने लगे। भोजन और आवास के बदले उन्हें अपने अध्यापक के घरेलू काम करने पड़ते थे। एक दिन उस अध्यापक से भी झगड़ा हो गया और पढ़ाई छोड़कर वे एक प्राथमिक शाला में व्यायाम सिखाने लगे। यहां उनका परिचय स्वदेश साप्ताहिक, गोरखपुर के सह सम्पादक मुनीश अवस्थी से हुआ। कुछ ही समय में वे क्रांतिकारी दल के...

जाहरवीर गोगा

Image
जाहरवीर गोगा जीवन परिचय जाहरवीर गोगा 11वीं   सदी के महान योद्धा थे। जन्मस्थान : चुरू जिले का ददरेवा गाँव पिता : चौहान वंश के शासक जेवरसिंह माता : रानी बाछल जन्मतिथि : विक्रम संवत 1003 में भाद्रपद कृष्णा नवमी चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद जाहरवीर गोगा ख्याति प्राप्त राजा थे। जाहरवीर गोगा का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था। राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश , हरियाणा पंजाब , हिमाचल प्रदेश में जाहरवीर गोगा लोक देवता के रूप मे ससम्मान पूजे जाते हैं। लोकमान्यता व लोककथाओं में गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। सामान्यतः उन्हें गोगा बाप्पा, गोगाजी , गुग्गा , जाहिर वीर, गातोड़जी (गातरोड़जी), गोवर्धनसिंह चौहान और जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। जाहरवीर गोगा की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है और सैकड़ों वर्ष बीत गए , लेकिन उनके घोड़े की रकाब अभी भी वहीं पर विद्यमान है। जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं जाहरवीर गोगा की घोड़े पर सवार मूर्ति स्थापित है। गुरु गोरखनाथ ...

Krishna Janmasthmi / कृष्ण जन्माष्टमी

Image
    भगवान श्री कृष्ण के बारे में जितना भी जानिए आपको कम ही लगेगा। हिंदू देवी-देवताओं में श्री कृष्ण का दर्जा सबसे अलग। हिंदू धर्म में अगर भगवान के किसी अवतार के बारे में सबसे ज्यादा चर्चा हुई है तो वो कृष्ण ही हैं। शनिवार को पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी की धूम होगी। श्री कृष्ण के बारे में हम आपको ऐसी 10 बातें बताने जा रहे हैं जो शायद ही आप जानते हों- 1- श्री कृष्ण का जन्म रोहिण नक्षत्र में हुआ था। वो देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे। श्री कृष्ण के जन्म से पहले छह भाइयों को कंश ने मार दिया था। कंस देवकी का भाई था और अपनी बहन से बहुत प्यार करता था। देवकी और वासुदेव की शादी के बाद आकाशवाणी हुई कि कंस की मौत देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया और एक-एक करके उनके सात बच्चों को मार दिया। कृष्ण के जन्म के बाद वासुदेव उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद बाबा के घर छोड़ आए थे। कृष्ण को जन्म भले ही देवकी ने दिया हो लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया था। 2- श्री कृष्ण के गुरु संदीपनि थे, कृष्ण ने अपने...