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Showing posts from July, 2014

जहाँ कम कानून, वह अच्छा राज्य : मनमोहन वैद्य

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कॉमन सिविल कोड और धारा-370  हिन्दुत्व के मुद्दे नहीं :   श्री वैद्य ने कहा कि कॉमन सिविल कोड और धारा-370 हिन्दुत्व के मुद्दे नहीं है. ये राष्ट्र से जुड़े मुद्दे हैं. अल्पसंख्यक विरोध भी हिन्दुत्व नहीं है. हिन्दुत्व साम्प्रदायिक और संकुचित नहीं है बल्कि वह तो समाज को जोड़ने वाली जीवन पद्धति है. उन्होंने कहा कि संघ की छवि भी ऐसी ही भ्रामक बना दी गई है. संघ की ओर से बड़े स्तर पर सेवाकार्य किए जा रहे हैं, मीडिया में उनकी भी चर्चा होनी चाहिए. इससे पूर्व कार्यशाला में दूसरे दिन ‘मीडिया ट्रायल’ और ‘महिला अधिकार एवं कानून’ विषय पर पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया. इसमें मीडिया विशेषज्ञ केजी सुरेश, राकेश खर और लाजपत आहूजा ने भी अपने विचार व्यक्त किए. मीडिया से संवाद विषय पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश राजपूत एवं एम. राममूर्ति ने अपने विचार रखे. 27 जुलाई 2014, भोपाल. कानून से समाज का संचालन करते जाएंगे तो व्यवस्था ठीक नहीं रहेगी. समाज के अपने मूल्य होने चाहिए, जिनसे समाज संचालित हो. जहां कम से कम कानून होते हैं, वह राज्य अच्छा होता है. राज्य या सरकार द्वारा प्रत्येक काम किया जाए, यह व्यवस्था...

सहारनपुर दंगे का सच

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मेरठ(विसंके). गत 25 जुलाई की रात्रि में सहारनपुर में हुआ दंगा प्रशासन की अकर्मण्यता का एक जीता-जागता उदाहरण है. थाना कुतुबशेर के अंतर्गत अम्बाला रोड क्षेत्र में स्थित गुरूद्वारे से सटा एक प्लाट है जिस पर मुस्लिम भी अपना दावा करते हैं. सिखों का कहना है कि यह जमीन उन्होंने कस्टोडियन द्वारा काबिज पक्ष से खरीदी थी. जिला जज ने 2013 में गुरूद्वारे के पक्ष में निर्णय दिया तथा जमीन पर गुरुद्वारे का स्वामित्व सिद्ध हो गया. गुरूद्वारे की प्रबंध समिति ने प्रशासन से इस जमीन पर निर्माण करने में सहयोग की अपेक्षा की किन्तु प्रशासन निरन्तर उसे टालता चला आ रहा था. दिनांक 25 जुलाई की रात्रि में गुरूद्वारा प्रबंध समिति ने वहाँ निर्माण कार्य प्रारंभ किया. प्रातः2.30 बजे के आसपास सपा नेता एवं सभासद मोहर्रम अली पप्पू तथा कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने वहाँ निकट ही स्थित एक मस्जिद में मुसलमानों को एकत्र कर दंगा करने के लिये भड़काया. प्रारंभ में उन्होंने अंबाला रोड पर जाम लगाकर प्रशासन पर दबाव बनाया. तत्पश्चात सर्वप्रथम उन्होंने निकट ही फायर ब्रिगेड स्टेशन पर हमला किया तथा थाना कुतुबपुर में गोली चलाई, जिसमें...

एक आदर्श पत्रकार - लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

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२३ जुलाई लोकमान्य तिलक जयन्ती   अंग्रेजोंकी सत्ता होते हुए भी भारतभूमिके उद्धारके लिए दिन-रात चिंता करनेवाले और अपने तन, मन, धन एवं प्राण राष्ट्रहितमें अर्पण करनेवाले कुछ नररत्न इस देशमें अमर हो गए । उन्हींमेंसे एक रत्न अर्थात् लोकमान्य तिलक । तत्त्वचिंतक, गणितज्ञ, धर्मप्रवर्तक, विधितज्ञ आदि विविध कारणोंसे उनका नाम संपूर्ण विश्वमें प्रसिद्ध हैं । ‘लोकमान्य' यह उपाधि प्राप्त ध्येयवादी एवं दीर्घ उद्योगी व्यक्तिमत्त्वका १ ऑगस्ट को स्मृतिदिन रहता हैं । स्वतंत्रता पूर्व कालमें लोकमान्यजीके निश्चयी तथा जाज्वल्य नेतृत्व गुणोंसे ओतप्रोत उनकी पत्रकारिता वैचारिक आंदोलनके लिए कारणीभूत हुई । स्वतंत्रताके पश्चात् इस देशकी दुरावस्था रोकने हेतु आज एक और ऐसे ही वैचारिक आंदोलनकी आवश्यकता है । आजके व्यावसायिक पत्रकारिताका भान जनताको कराने हेतु,  यह लेख प्रस्तुत है                                                            ...

"आदर्श नागरिक निर्माण करे मातृशक्ति" - इन्द्रेश कुमार

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जोधपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय  कार्यकारणी सदस्य तथा अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के मार्गदर्शक श्री इन्द्रेश कुमार ने सैनिक परिवारों की मातृशक्ति से वर्तमान राष्ट्रीय  भावना को कुंठित करने वाले नशा,  भ्रष्टाचार, बलात्कार एवं  देशद्रोह जैसी दुष्प्रवृत्तियों को समाप्त करने के लिये आवश्यक आदर्श नागरिक निर्माण में अपनी समर्थ एवं प्रभावी भूमिका निभाने का आग्रह किया है. परिषद की 33 वीं प्रबन्धकारिणी सभा के समापन समारोह में उन्होंने कहा  कि  देश के नागरिकों में जब सांस्कृतिक  व चारित्रिक पतन होता  है, तब  देश में बलात्कार, नशाखोरी व देशद्रोह की मांनसिकता बढ़ जाती है, जिससे राष्ट्र में अशान्ति व असुरक्षा का वातावरण निर्माण होता है . उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिक सेवा परिषद एक अनुशासित व राष्ट्र  को समर्पित व्यक्तियों का संगठन हैं, जिसके अनुभव व योग्यता से राष्ट्र  की अनेक समस्यायें सुलझाई जा सकती हैं. श्री इन्द्रेश जी ने संविधान के अनुच्छे 370, समान नागरिक संहिता  तथा पंचशील समझौते जैसे विषयों पर सलाह दी ...

परिचर्चा - " जनजाति समाज : चुनौतियाँ एवं समाधान "

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कल दिनांक २० जुलाई २०१४ को संस्कृति समन्वय, सामाजिक अध्ययन एवं शोध केन्द्र उदयपुर द्वारा वाणिज्य महाविद्यालय के सभागार में -   " जनजाति समाज : चुनौतियाँ एवं समाधान " , विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया | श्री मन्नालाल रावत (प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, सीकर) ने विचार व्यक्त करते हुए कहा की - भारतीय जनजाति व्यवस्था पर पिछले ५० वर्षों से राज्य सरकार और केंद्र सरकार के व्यापक अभियान से उत्थान की विविध योजनाएँ बनती रही है | उनके भौतिक और आर्थिक उत्थान के साथ ही उनके सांस्कृतिक जीवन मूल्यों को नजरंदाज किया जा रहा है जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास के लिए उनका सांस्कृतिक परिष्कार करना आवश्यक है | जनजाति सामाज को अपने विकास के लिए भाग्यवाद से भी ऊपर उठना होगा | परिचर्चा में मुख्यवक्ता श्री रावत ने कहा की विकास के लिए सामाजिक जागरुकता, सामाजिक गतिशीलता आवश्यक है | उन्होंने कहा कि तथाकथित लाल गलियारे का मुकाबला करने की लिए जनजाति बहुल क्षेत्रों को हरित गलियारे के रूप में विकसित करना आवश्यक है | राजस्थान आदिवासी महासभा के महासचिव श्री सोमेश्वर मीणा ने परिचर्चा में विचार व्...

धोती पहने जज को क्लब में घुसने से रोका

चेन्नई. हाल ही में तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन क्लब में धोती पहने होने के नाते मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश डी. हरिपारंथमन को प्रवेश नहीं देने का मामला गरमा गया है. इस मुद्दे को द्रमुक सहित अन्य दल तमिलनाडु विधानसभा में उठाने की तैयारी में हैं. द्रमुक प्रमुख एम. करूणानिधि एवं टीएनसीसी अध्यक्ष बीएस ज्ञानदेसिकन ने मांग की कि किसी भी सार्वजनिक समारोह या स्थल पर ड्रेसकोड खत्म किया जाये. करूणानिधिन ने कहा, वाएटी (धोती) तमिलनाडु की संस्कृति का प्रतीक है और किसी को धोती पहने होने के कारण सार्वजनिक स्थल या कार्यक्रम में प्रवेश करने से रोकना निंदनीय है. न्यायाधीश डी. हरिपारंथमन को हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश टीएस अरूणाचलम की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में जाने से इसलिये रोक दिया गया था कि उन्होंने धोती पहन रखी थी. न्यायाधीश हरिपारंथमन ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था. माकपा ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही है, जबकि पीएमके रामदास ने अंग्रेजों की परंपरा को खत्म करने की मांग की है. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वीआर कृष्ण अय्यर को 1980 मे...

आचार्य जी का पार्थिव शरीर भी आया देश के काम

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विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक आचार्य गिरिराज किशोर के पार्थिव शरीर को 14 जुलाई को दधीचि देह दान समिति के एडवोकेट श्री आलोक कुमार अग्रवाल के माध्यम से आर्मी मेडिकल कॉलेज, दिल्ली को दान कर दिया गया, जहां उनके पार्थिव शरीर का उपयोग मेडिकल अध्ययन में किया जायेगा. राष्ट्र की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले गिरिराज किशोर ने अपने देहांत के बाद भी राष्ट्र की सेवा का संकल्प किया था. इसीलिये उनकी  इच्छा के अनुसार उनके नेत्रों का भी दान किया गया. अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे आचार्य गिरिराज किशोर का रविवार 13 जुलाई को देर रात यहां आरके पुरम स्थित संकटमोचन आश्रम में निधन हो गया था. वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और इस आश्रम में बने विहिप के केन्द्रीय कार्यालय में ही रहते थे. उनके निधन के बाद से ही उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा. श्रद्धांजलि देने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भय्या जी जोशी, सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी जी व श्री दत्तात्रेय जी होसबोले, श्री इन्द्रेश कुमार, विहि...

स्मृति शेष ....., आचार्य गिरिराज किशोर जी का निधन

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आचार्य गिरिराज किशोर जी         विश्व हिन्द्दु परिषद के मार्गदर्शक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक   94 वर्षीय आचार्य गिरिराज किशोर जी का लम्बी अस्वस्थता के बाद 13 जुलाई 2014 रात्रि 9.16 मिनट पर विश्व हिन्दु परिषद कार्यालय- संकट मोचन आश्रम, रामकृष्ण पुरम नई दिल्ली में निधन  हो गया।   जीवन परिचय -    आचार्य गिरिराज किशोर का जन्म 4 फरवरी, 1920 को  एटा , उ.प्र. के मिसौली गांव में श्री श्यामलाल एवं श्रीमती अयोध्यादेवी के घर में मंझले पुत्र के रूप में हुआ।  हाथरस  और  अलीगढ़  के बाद उन्होंने  आगरा  से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। आगरा में श्री  दीनदयाल जी  और श्री भव जुगादे के माध्यम से वे स्वयंसेवक बने और फिर उन्होंने संघ के लिए ही जीवन समर्पित कर दिया।        प्रचारक के नाते आचार्य जी मैनपुरी, आगरा, भरतपुर, धौलपुर आदि में रहे। 1948 में संघ पर प्रतिबंध लगने पर वे मैनपुरी, आगरा, बरेली तथा बनारस की जेल में 13 महीने तक बंद रहे। वहा...

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद - एक परिचय

अ.भा.वि.प. के ६५ वर्ष पूर्ण   हमारे भारत वर्ष की गौरवशाली परम्परा एवं विश्व की प्राचीन सभ्यता और महान संस्कृति से प्रेरित होकर विश्व गुरु पद पर आरूढ़ रहे भारत को शक्तिशाली, समृद्धिशाली एवं स्वाभिमानी राष्ट्र के रूप में पुन: निर्मित करते हुए विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का गठन ९ जुलाई १९४९ को मुम्बई में हुआ । ज्ञान-शील-एकता के ध्येय को चहुओर आलोकित करने के एक सूत्र को एक डोर में पिरोते हुए छात्र एकता को मजबूत कर एक लक्ष्य देशसेवा का कार्य अ.भा.वि.प. के माध्यम से हुआ है । राष्ट्र निर्माण का सूत्र ही अ.भा.वि.प. की स्थापना का मूल उद्देश्य रहा है । किसी भी राष्ट्र की मूल पूंजी अथवा शक्ति “छात्र शक्ति”, “युवा शक्ति” ही रही है, अगर युवा शक्ति - छात्र शक्ति को सही दिशा और सही नेतृत्व मिल जाए तो वह एक नया परिवर्तन कर नए युग का प्रारंभ कर सकती है इस बात को इंगित करते हुए अ.भा.वि.प. का गठन हुआ जिसने छात्रों के हित का ध्यान रखते हुए देश सेवा का पाठ पढ़ाया व राष्ट्र को सर्वोपरि बताया। छात्रों में राष्ट्र निर्माण के लिये राष्ट्रीय चिन्तन देने का कार्य अ.भ...