परिचर्चा - " जनजाति समाज : चुनौतियाँ एवं समाधान "
परिचर्चा में मुख्यवक्ता
श्री रावत ने कहा की विकास के लिए सामाजिक जागरुकता, सामाजिक गतिशीलता आवश्यक है | उन्होंने कहा कि तथाकथित लाल गलियारे का मुकाबला करने की लिए जनजाति बहुल क्षेत्रों को हरित गलियारे के रूप में विकसित करना आवश्यक है |
राजस्थान आदिवासी महासभा के महासचिव श्री सोमेश्वर मीणा ने परिचर्चा में विचार व्यक्त करते हुए कहा की- जनजाति क्षेत्र के विकास की योजनाओं के निर्माण और क्रियान्वयन के समय जनजाति लोगों की सांस्कृतिक परम्पराओं का ध्यान रक्खा जायेगा तो वे अधिक विकास कर पाएंगे | राजस्थान आदिवासी महासभा के अध्यक्ष श्री भोपतसिंह मीणा ने बताया की - समाज की क्षमता और आत्मविश्वास ही भावी पीढ़ी को आगे बढ़ा सकता है और इसके लिये शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है |
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो.इशाक मोहम्मद कायमखानी ने कहा की भारतीय समाज के सांस्कृतिक एवं सामाजिक विकास में जनजाति समाज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है | वर्तमान उपभोक्तावादी युग में इनके सांस्कृतिक संरक्षण की महत्ती आवश्यकता है |
परिचर्चा में केंद्र के अध्यक्ष प्रो. विजय श्रीमाली सहित प्रो.एल.सी.खत्री, श्री लालुराम भजात, श्री मोहनलाल नागर, युवराज मीना, डॉ.सुरेश सालवी, डॉ.पीयूष भादविया, प्रो.दिग्विजय भटनागर, डॉ.राजकुमार व्यास, डॉ.वैशाली देवपुरा, डॉ.भवशेखर व्यास, डॉ. ज्योति गौतम, डॉ.प्रेमलता स्वर्णकार, डॉ. क्षेत्रपालसिंह चौहान, डॉ. सूरज राव, श्री मगनलाल जोशी, आदि ने विचार व्यक्त किये | सञ्चालन श्री बालूदान बारहठ ने किया एवं धन्यवाद आशीष सिसोदिया ने दिया |




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