अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद - एक परिचय

अ.भा.वि.प. के ६५ वर्ष पूर्ण 

हमारे भारत वर्ष की गौरवशाली परम्परा एवं विश्व की प्राचीन सभ्यता और महान संस्कृति से प्रेरित होकर विश्व गुरु पद पर आरूढ़ रहे भारत को शक्तिशाली, समृद्धिशाली एवं स्वाभिमानी राष्ट्र के रूप में पुन: निर्मित करते हुए विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का गठन ९ जुलाई १९४९ को मुम्बई में हुआ ज्ञान-शील-एकता के ध्येय को चहुओर आलोकित करने के एक सूत्र को एक डोर में पिरोते हुए छात्र एकता को मजबूत कर एक लक्ष्य देशसेवा का कार्य अ.भा.वि.प. के माध्यम से हुआ है राष्ट्र निर्माण का सूत्र ही अ.भा.वि.प. की स्थापना का मूल उद्देश्य रहा है
किसी भी राष्ट्र की मूल पूंजी अथवा शक्ति “छात्र शक्ति”, “युवा शक्ति” ही रही है, अगर युवा शक्ति - छात्र शक्ति को सही दिशा और सही नेतृत्व मिल जाए तो वह एक नया परिवर्तन कर नए युग का प्रारंभ कर सकती है इस बात को इंगित करते हुए अ.भा.वि.प. का गठन हुआ जिसने छात्रों के हित का ध्यान रखते हुए देश सेवा का पाठ पढ़ाया व राष्ट्र को सर्वोपरि बताया। छात्रों में राष्ट्र निर्माण के लिये राष्ट्रीय चिन्तन देने का कार्य अ.भा.वि.प. ने किया है। 
छात्र शक्ति – राष्ट्र शक्ति (Student Power – Nation Power) की परिकल्पना को साकार करते हुए अ.भा.वि.प. अनवरत गत ६५ वर्षों से आगे बढ़ रहा है। देश के विभिन्न महाविद्यालयों में इसकी इकाईयों है, जो छात्रों के हितों की रक्षार्थ संघर्षरत रहती है। इन महाविद्यालयों में सम्पन्न होने वाले चुनावों में भी अ.भा.वि.प. का दबदबा रहता है और परचम भी लहराता है। यही नहीं राष्ट्रवादी सोच रखने वाले कई छात्र इस संगठन का सदस्य बनकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते है।
महाविद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण का निर्माण करने के साथ ही छात्र हित को लेकर सदैव अग्रणी रहने वाले इस अ.भा.वि.प. संगठन का देश व्यापी स्तर पर राष्ट्रीय स्तर से तहसील स्तर तक कार्यकारिणी का गठन होता है, जिसके माध्यम से देश व्यापी शैक्षणिक स्तर और सुदृढ़ करने के लिए अधिवेशन होते है जिसमे कई राष्ट्र हित – छात्र हित के निर्णय लिए जाते है| विद्यार्थी परिषद ने १९७१ के राष्ट्रीय अधिवेशन में अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा की “छात्र कल का नहीं अपितु आज का नागरिक है” साथ ही यह आह्वाहन किया की “छात्र शक्ति को उपद्रवी शक्ति ना माने, यह राष्ट्र शक्ति है” और यह आह्वाहन किया की छात्रशक्ति – राष्ट्रशक्ति |
अ.भा.वि.प. ने स्थापना काल से छात्रहित – राष्ट्रहित मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है | शिक्षा के बढ़ते व्यापारीकरण को रोकने के प्रयासों के साथ ही राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न बांगलादेशी घुसपैठ आतंकवाद नक्सली हिंसा धारा ३७० जैसे अन्य चुनौती पूर्ण विषयों को प्रमुखता से उठाते हुए उसे आन्दोलन का रूप दिया है | रचनात्मक कार्यों में संलग्न रहने वाले एवं दलगत राजनीती से ऊपर उठकर रचात्मक दृष्टि कोण से सभी विषयों को देखने वाला देश को छात्रों को सर्वोपरि रखने का पक्षधर है | विद्यार्थी परिषद का मानना है जो शिक्षा विद्यार्थियों को केवल केरियर ही नहीं सामान्य देश वासियों के लिए कुछ देने का संकल्प भी देगी ऐसी शिक्षा की हमारे लिए आवश्यकता है | “शिक्षा जीवन के लिए है – जीवन देश के लिए”, यह सोच आम छात्र की बने | समाज जीवन के हर क्षेत्र में अ.भा.वि.प. संगठन अपनी छात्र शक्ति के आधार पर अपना लोहा मनवा रहा है |
विद्यार्थी परिषद छात्र प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महाविद्यालयों में खेलकूद प्रतियोगिताएँ साहित्य एवं नाट्य स्पर्धाएं, सम्मेलन, प्रतिभा संगम, केरियर मार्गदर्शन एवं व्यक्तित्व विकास शिविर के आयोजन करती है | यही नहीं अ.भा.वि.प. ने भूकंप सुनामी बाढ़ जैसी नैसर्गिक आपदाओं में भी बढ़ – चढ़कर सहयोग किया है एवं स्थानीय स्तरों पर वृक्षारोपण, रक्तदान, श्रमानुभव शिविर के भी आयोजन किये हैं| व्यक्तिगत जीवन में समरसता का सन्देश प्रकट करते हुए सामाजिक भेदभाव को नकारा है व सम भाव का जागरण करते हुए अपने कार्य को सर्वोस्पर्शी बनाने का प्रयास विद्यार्थी परिषद सदैव करती है |
    राष्ट्रवादी चिन्तन को लेकर अ.भा.वि.प. संगठन “छात्रहित – राष्ट्र हित” का कार्य करते हुए अनवरत आगे अग्रसर हो रहा है, जो हम सभी के समक्ष प्रस्तुत है| छात्रहित – राष्ट्रहित के साकार रूप देते हुए ध्येय को परिलक्षित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संगठन विगत ६५ वर्ष से पारिव्राजक के रूप में आगे बढ़ता ही जा रहा है| अ.भा.वि.प. के ६५ वर्ष पूर्ण होने पर बहुत - बहुत शुभकामनायें |

- मनीष मेघवाल 
२/१७९, गोवर्धन विलास उदयपुर 

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