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Showing posts from November, 2014

नागरिकों के अच्छे आचरण से, संकल्प शक्ति, संगठन एवं परिश्रम से देश श्रेष्ठ बनेगा- दत्तात्रेय जी होसबले

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उदयपुर 27 नवम्बर। देश बड़ा होता है नागरिकों के अच्छे आचरण से, संकल्प शक्ति, संगठन एवं परिश्रम से देश श्रेष्ठ बनेगा,  आज की चुनौतियां में युवक की भुमिका महत्वपूर्ण है उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबोले ‘‘आज की चुनौतियां और युवक की भुमिका’’ विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चीन भारत के व्यापार पर निरंतर कब्जा करता जा रहा है यहां तक कि गणेश पुजा के लिए गणेश भी चीन से आ रहे है। अरूणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानता है और अरूणाचल प्रदेशवासीयों को चीन में बगैर वीजा के प्रवेश देता है। उन्होंने कहा कि नक्सलवादी सरकार के साथ युद्ध करना चाहते है, समाज में भय पैदा करना चाहते है। इनका एक मात्र उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना है। भारत में लोकतंत्र है जो कि हर समस्या का समाधान शांति से संभव है। बन्दूक की नोक पर समस्या का हल नहीं हो सकता है। भारत का श्रेष्ठ विचार है, हमने नदी, पत्थर सभी में भगवान को देख है, सांप और चुहे तक को पूजा है। भारत में जो भी आये हमने भाईचारे के उन्हे स्वीकार किया, चाहे वो पारसी हो, बौद्ध हो। लेकिन एक तरफ जहां ...

हिंदुत्व के वैश्विक प्रसार के संकल्प के साथ विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित ‘विश्व हिन्दू कांग्रेस’ शुरू

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नई दिल्ली Nov 21, 2014. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत ने कहा है कि समस्त संसार को मानवता का पाठ पढ़ाने का परंपरा से भारत का दायित्व है, जिसकी आवश्यकता संसार को सदा रहेगी. परम पूज्य सरसंघचालक डा. मोहन राव भागवत ने यहां 21 नवंबर को वर्ल्ड हिन्दू फाउंडेशन द्वारा आयोजित प्रथम वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में वैश्विक हिन्दू पुनर्अभ्युदय के लिये उपयुक्त समय और हिन्दू समाज के सामूहिक प्रयास विषय पर अपने सारगर्भित मार्गदर्शन में कहा, “ पूज्य दलाई लामा जी ने जिन सरल शब्दों में कहा फेथ, ह्यूमैनिटी, उसकी आवश्यकता तो संसार को सदा थी, सदा है, सदा रहेगी और उसको देने का काम हमको करना है” उन्होंने कहा कि एक समाज,  एक राष्ट्र और एक देश के नाते भारत के अस्तित्व का यही प्रयोजन है. इसीलिये पचास से अधिक देशों से हिन्दू के नाते, हिन्दू समाज का विचार करते हुए सम्पूर्ण विश्व को आवश्यक  मार्गदर्शन प्रदान कर सकें- ऐसा रूप हिन्दू समाज को देने के लिये क्या किया जाये, इसका विचार करने के लिये यहां आये हैं. परम पूज्य ने कहा कि जहां तक उपयुक्त समय की ब...

भारत का एक ही लक्ष्य है “कृण्वंतो विश्वमार्यम” – जे. नंदकुमार

जयपुर , 18  नवंबर ।   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे .  नंदकुमार ने कहा कि भारत का एक ही लक्ष्य है  “ कृण्वंतो विश्वमार्यम ” अर्थात् विश्व श्रेष्ट बनाना यह पहले से ही स्पष्ट है। इसे पूरा करने के लिए हमारा अभियान सदियों से चल रहा है। बीच में इसमें कुछ गतिरोध आ गए थे। इन्हें हटाने और राष्ट्र को परमवैभव पर ले जाने के लिए डॉ .  हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। नंदकुमार मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में पत्रकारिता के विद्यार्थियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शक्तिशाली देश बनाने के लिए समाज परिवर्तन जरूरी है। संस्कारित समाज के आधार पर राष्ट्र को परम वैभव पर लाना है। समाज परिवर्तन की पहली सीढ़ी व्यक्ति निर्माण है। उन्होंने कहा कि समाज को सुदृढ किए बिना ,  सत्ता के माध्यम से देश को शीर्ष पर नहीं पहुंचाया जा सकता। इसलिए समाज के सभी क्षेत्रों में काम करते हुए समाज को आगे लाने का काम ही संघ कर रहा है। उन्होंने छात्रों से चर्चा करते हुए कहा कि आज समाज ,  संगठन और राष्ट्र वैभव में म...

'मैं और मेरा परिवार' की धारणा से बाहर निकलकर संसार को अपनाना होगा। - कैलाशचन्द्र

सागवाड़ा। आार्थिक युग मेंं 'मैं और मेरा परिवार'  की धारणा से बाहर निकलकर संसार को अपनाना होगा। यह उद्गार राजस्थान क्षैत्र के क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख कैलाशचन्द्र ने नगर के आसपुर मार्ग पर स्थित विद्यानिकेतन माध्यमिक विद्यालय में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित शिक्षक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। आयोजन जिला संघचालक वेलचंद पाटीदार व नगर संघचालक हरीशचन्द्र सोमपुरा के सान्निध्य में हुए सम्मेलन में विरेन्द्र सिंह वमासा, प्रकाश व्यास ने गीत प्रस्तुत किया एवं सह जिला कार्यवाह विष्णु बुनकर ने अतिथि परिचय दिया। इस अवसर पर मुख्यवक्ता कैलाशचन्द्र ने कहा कि शिक्षक को आर्थिक युग में 'मैं और मेरा परिवार' की धारणा से बाहर निकलकर संसार को अपनाना होगा। उन्होंने देश के लिए जिम्मेदार व संस्कारित नागरिक तैयार करने का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी हो जो छात्र के सर्वांगिण जीवन के लिए सार्थक बने। शिक्षा में संस्कारों का समावेश जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि आजकल हर कार्य में सुख वस्तुनिष्ठ हो गया है, शिक्षा स्वयं के लाभ के लिए नहीं बल्कि जीवन मूल्यों पर आ...

पाकः इंसाफ़ मांगता हिंदू लड़की का परिवार

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 8 नव.  -    कराची में एक सरकारी आवास में एक डरा और सहमा हुआ खानदान मौजूद है जो यह उम्मीद लेकर ढरकी से कराची आया है कि उनके साथ न्याय होगा. ये अंजलि मेघवाड़ के माता, पिता और बहन भाई हैं. अंजलि के बारे में ढरकी के भरचविंडी के पीर खानदान का कहना है कि उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम स्वीकार कर लिया है जिसके बाद अंजलि का रियाज़ सियाल नामक व्यक्ति से निकाह कराया गया. अंजलि के पिता कुंदन मेघवाड़ का कहना है कि उन्हें धमकी दी गई है, "मामला इधर ख़त्म कर दो, अगर ऊपर जाओगे तो हत्या कर देंगे." इस बारे से उन्होंने सिंध के पुलिस महानिरीक्षक को भी बताया है, जिन्होंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया जाएगा. कुंदन मेघवाड़ का कहना है, "हमारी बच्ची 11 साल की है, उसे तो धर्म के बारे में भी पता नहीं, लेकिन भरचविंडी का पीर परिवार कह रहा है कि उसने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम स्वीकार कर लिया है." वह कहते हैं, "वे जिस लड़की को लेकर जाते हैं उसे मुसलमान बना देते हैं. इस संबंध में कोई क़ानून होना चाहिए, कम से कम उनके मां बाप की तो राय ली जाए...

पत्थर खाकर भी कश्मीर में सेवा की संघ और सेना दोनों ने

लेखक - रमेश शर्मा  जम्मू कश्मीर में बाढ़ का पानी उतर गया है। जिंदगी दोबारा अपनी   रफ़्तार पकडऩे के लिए जूझ रही है। तूफान की धुंध खत्म हो   गई है। तूफान के दौरान क्या घटा ,  मौन उजड़ा ,  कौन बचा सब साफ दिखने लगा है। इन साफ तस्वीरों में कुछ बातें चौंकाने वाली है। सबसे पहली तो यही कि तूफान ,  आंधी और पानी की प्रलयकारी बौछारों के बीच पीडि़तों की मदद के लिए केवल दो ही हाथ सामने आए एक सेना का और दूसरा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का और हैरत में डालने वाली दूसरी बात यह है कि घाटी में कुछ लोगों ने मदद के लिए सामने आए स्वयंसेवकों और सैनिकों पर पत्थर बरसाए। लेकिन पत्थर खाकर भी मददगार पीछे नहीं हटे बल्कि डटे रहे। इसका कारण यह था कि पत्थर बरसाने वाले लोग गिरोह-बंद तो थे लेकिन उनकी सं या कम थी जबकि मदद के  आकांक्षी हजारों लोग हसरत की नजरों से अपने मददगारों को देख रहे थे और दुआ दे रहे थे। पीडि़तों की मदद करना भारतीय सेना के जवानों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों की अपनी शैली है। वे स्थान ,  समूह ,  वर्ग ,  वर्ण , धर्म ,  जाति अथवा आपद...

आगरा में सम्पन्न हुआ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ब्रज प्रान्त का " युवा संकल्प शिविर "

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राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पूज्यनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी ने ‘युवा संकल्प शिविर’ के अधीश सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में देश और समाज के लिए प्रेम, आत्मीयता और अपनेपन की भावना से सेवा कार्य करने का आह्वान किया | उन्होंने कहा कि का र्य किसी तरह का सम्मान पाने की भावना से नहीं किया जाना चहिये । स्वाभाविक आत्मीयता से किया गया कठिन कार्य भी सरलता से हो जाता है, हमें हर पल अपने देश के हित तथा उसकी सुरक्षा को देखकर कार्य करना चाहिए । आज जिन्हें सम्मानित किया गया है ये सभी इसी भावना से कार्य कर रहे है” उन्होने कहा कि अपना कार्य करने के लिए सम्मान पाने का भाव हममें आना ही नहीं चाहिए । अहंकार के भाव से हमें हर अपने से लड़ना पड़ता है । जो सेवा कार्य कोई सम्मान या पद प्राप्ति के लिए किया जाता उससे सही मायने में आत्मीयता या अपनेपन का भाव नहीं उत्पन्न नहीं होता। श्री भागवत ने आगे कई प्रसंगों के माध्यम से सच्ची सेवा कार्यों का उल्लेख करते हुए युवाओं से समाज तथा राष्ट्र के लिए जुट जाने का आह्वान किया। पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा सिर काटे जाने वाले मथुरा निवासी शहीद हेमराज सिंह की विधवा...

दैनिक शाखा से नागरिकों में गुणवत्ता निर्माण होती है - पूज्यनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत

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वर्तमान मेें विश्व में जितने सम्पन्न राष्ट्र है वे अपने देश के नेताओं, राजनीतिक दलों तथा संस्थाओं के कारण नहीं बल्कि अपने नागरिकों की गुणवत्ता, राष्ट् रभक्ति और राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव से बने है। देश के इतिहास को उठा कर देख लें, अगर भारत को भी परम वैभवशाली राष्ट्र बनाना है तो अपने देश के लोगों में गुणवत्ता के साथ-साथ राष्ट्र बोध का जागरण करना होगा। अमेरिका और जापान भी इसी रास्ते से चल कर आज वैभव के शिखर पर पहुॅचे हैै। उक्त उद्गार पूज्यनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत ने 'युवा संकल्प शिविर' के समापन समारोेह में स्वयंसेवकों व आमजनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता में एकता उसकी विशेषता है। जिसका सूत्र हिन्दुत्व में निहित है और इसका मुख्य आधार वसुधैव कुटम्बकम् है। उन्होने ने कहा कि संघ को जानने लिये शाखा में आकर अभ्यास करना होगा। यहां के कार्यक्रमों में भाग लेना होगा और संस्कारों की प्रक्रिया से गुजरते हुये अनुभव प्राप्त करने होगें तभी हम संघ को समझ सकेगें। माताओ, बहिनों के लिए भी राष्ट्रीय सेवा समिति कार्यरत है। श्री भागवत ने क...