नागरिकों के अच्छे आचरण से, संकल्प शक्ति, संगठन एवं परिश्रम से देश श्रेष्ठ बनेगा- दत्तात्रेय जी होसबले
उदयपुर 27 नवम्बर। देश बड़ा होता है नागरिकों के अच्छे आचरण से, संकल्प शक्ति, संगठन एवं परिश्रम से देश श्रेष्ठ बनेगा, आज की चुनौतियां में युवक की भुमिका महत्वपूर्ण है उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबोले ‘‘आज की चुनौतियां और युवक की भुमिका’’ विषय पर संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि चीन भारत के व्यापार पर निरंतर कब्जा करता जा रहा है यहां तक कि गणेश पुजा के लिए गणेश भी चीन से आ रहे है। अरूणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानता है और अरूणाचल प्रदेशवासीयों को चीन में बगैर वीजा के प्रवेश देता है।
उन्होंने कहा कि नक्सलवादी सरकार के साथ युद्ध करना चाहते है, समाज में भय पैदा करना चाहते है। इनका एक मात्र उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना है। भारत में लोकतंत्र है जो कि हर समस्या का समाधान शांति से संभव है। बन्दूक की नोक पर समस्या का हल नहीं हो सकता है।
भारत का श्रेष्ठ विचार है, हमने नदी, पत्थर सभी में भगवान को देख है, सांप और चुहे तक को पूजा है। भारत में जो भी आये हमने भाईचारे के उन्हे स्वीकार किया, चाहे वो पारसी हो, बौद्ध हो। लेकिन एक तरफ जहां हम श्रेष्ठ विचार रखते है वहीं एक ओर समाजिक कुरितियां भी है।
भारत में अपने मकान के आस-पास सफाई रखने के लिए प्रधानमंत्री को कहना पड़ता है। क्योंकि भारत में नागरिकताबोध नहीं है
दूनिया के किसी भी देश के 90 साल के इतिहास इतने महापुरूष नहीं हुए जितने कि भारत देश में हुए है। फिर भी आजादी के बाद ऐसा क्या हुआ कि भारत इस स्थिति में आ गया है क्योंकि भारत में तीन प्रकार के अभाव है - चारित्रिक, विश्वसनियता, सहमति।
भारत शिक्षा का केन्द्र रहा है। आज हम गुरूकुल पद्धति को लागु नहीं कर सकते, परंतु अपनी शिक्षा पद्धति के मानदण्डों को तो लागू करना ही चाहिए। आजादी के समय 27 विश्वविद्यालय थे, परंतु आज 400 से ज्यादा विश्वविद्यालय जिसमें से 2-3 को छोड़ कर कोई भी वैश्वीक स्तर पर प्रसिद्ध नहीं है।
चर्चिल ने कहा था भारत आजाद होने के योग्य नहीं है, भारतीय आपस में लड़ेगें।
1944 में आजाद हुआ जापान आज ‘मेड इन जापान’ के नाम से विश्व प्रसिद्ध है।
यहुदी समाज नेें 1948 में 20 अलग-अलग देशों से एकत्र होकर इजराईल का पुर्नगठन किया। और आज एक सशक्त राष्ट्र के रूप में कार्य कर रहा है। देश निर्माण का कार्य त्याग, प्रतिबद्धता और समर्पण से होता है।
हम इतिहास से प्रेरणा ले और वर्तमान चुनौतियां का सामना करें। भारत के युवा बुद्धिमत्ता में कमजोर नहीं है। दुनियां के कई देशों में भारतीय राष्ट्राध्यक्ष और उच्चस्थ स्थानों पर है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति श्रीमान् शिवसिंह सारंगदेवोत ने करते हुए कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य मन की शांति है। ज्ञान के द्वारा ही व्यक्ति देष की उन्नति कर सकते है।



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