'मैं और मेरा परिवार' की धारणा से बाहर निकलकर संसार को अपनाना होगा। - कैलाशचन्द्र


सागवाड़ा। आार्थिक युग मेंं 'मैं और मेरा परिवार'  की धारणा से बाहर निकलकर संसार को अपनाना होगा। यह उद्गार राजस्थान क्षैत्र के क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख कैलाशचन्द्र ने नगर के आसपुर मार्ग पर स्थित विद्यानिकेतन माध्यमिक विद्यालय में रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित शिक्षक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। आयोजन जिला संघचालक वेलचंद पाटीदार व नगर संघचालक हरीशचन्द्र सोमपुरा के सान्निध्य में हुए सम्मेलन में विरेन्द्र सिंह वमासा, प्रकाश व्यास ने गीत प्रस्तुत किया एवं सह जिला कार्यवाह विष्णु बुनकर ने अतिथि परिचय दिया। इस अवसर पर मुख्यवक्ता कैलाशचन्द्र ने कहा कि शिक्षक को आर्थिक युग में 'मैं और मेरा परिवार' की धारणा से बाहर निकलकर संसार को अपनाना होगा। उन्होंने देश के लिए जिम्मेदार व संस्कारित नागरिक तैयार करने का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी हो जो छात्र के सर्वांगिण जीवन के लिए सार्थक बने। शिक्षा में संस्कारों का समावेश जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि आजकल हर कार्य में सुख वस्तुनिष्ठ हो गया है, शिक्षा स्वयं के लाभ के लिए नहीं बल्कि जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा होनी चाहिए। शिक्षकों से पे्ररक प्रसंग व कहानी के साथ कालांश प्रारंभ करने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ संस्कारों से ही जीवन में बदलाव आता है। उन्होंने शिक्षकों से देश की ज्वलंत समस्याओं के साथ ही सामाजिक उन्नयन के लिए देश की नवीन पीढ़ी को जागृत करने का आह्वान किया। संचालन सुदेश भाटीया व आभार हरीश सोमपुरा ने व्यक्त किया। बौद्धिक के बाद मुख्यवक्ता कैलाशचन्द्र ने शिक्षकों से रूबरू होते हुए सवाल जवाब किए। शिक्षकों ने पाठ्यक्रम में देशभक्ति युक्त सामग्री का समावेश करने की मांग करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम छात्रों की अपेक्षा के अनुरुप होना चाहिए। उन्होंने वर्तमान में सीसीई व रीडिंग केम्पेन जैसी पद्धति से शिक्षा का स्तर गिरने तथा छात्रों में अरूचि पैदा होने की जानकारी देते हुए इसे शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देने वाला बताया।
स्रोत - प्रातःकाल १०/११/१४ 

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